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Explainer: क्या है बॉयोफ्यूल अलायंस जिस पर G20 के बीच बनी सहमति? ऐसे सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल

देश के लोगों को तरक्की करने के लिए सस्ता ईंधन मिल सके, इसलिए भारत ने पेट्रोल के साथ-साथ डीजल में भी बायोफ्यूल मिक्स करने के लक्ष्य तय किए हैं. इसलिए ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस इस तरह भारत को बहुत ज्यादा लाभ देने वाला है.

G20 Summit के दौरान जब दुनिया के बड़े दिग्गज भारत में जुटे, तो जी20 के अध्यक्ष के तौर पर भारत ने ‘ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस’ की घोषणा की. इसमें उसके साथ दुनिया के 9 देशों के राष्ट्रप्रमुख शामिल हुए और अब भारत की कोशिश जी20 के अन्य देशों को इसका भागीदार बनाना है. लेकिन ये ‘ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस’ है क्या? कैसे ये आपकी हमारी मदद करेगा और आपके हमारे जेब का पेट्रोल-डीजल पर होने वाला खर्च घटाएगा?

भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर पेट्रोल-डीजल आयात करता है. इसलिए वह लगातारी एनर्जी ट्रांजिशन यानी ऊर्जा के स्रोत में बदलाव करने पर जोर दे रहा है. वैसे भी सर्कुलर इकोनॉमी के लिए ये वर्तमान में दुनिया की जरूरत भी है. इंटरनेशनल सोलर अलायंस बनाने के बाद ये दूसरी बार है जब भारत दुनिया के बड़े देशों को एक मंच में लाने पर कामयाब रहा है. ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस में भारत के अलावा अर्जेंटीना, बांग्लादेश, ब्राजील, इटली, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और अमेरिका शामिल हैं. जबकि कनाडा और सिंगापुर अभी ऑब्जर्वर देश हैं.

क्या है ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस?

ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस की स्थापना में भारत, ब्राजील और अमेरिका का योगदान सबसे अहम है. अभी दुनिया में जो सबसे पॉपुलर बायोफ्यूल ‘इथेनॉल’ है, उसमें इन 3 देशों का योगदान करीब 85 प्रतिशत है. इस अलायंस का शुरुआती मुख्य मकसद दुनियाभर में पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल के मिक्स को बढ़ावा देना है. इसका फायदा प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के साथ-साथ महंगे होते ईंधन पर लगाम लगाना भी है.

इसके अलावा बायोफ्यूल के उपयोग को बढ़ावा देना, टेक्नोलॉजी का लाभ उठाकर इसे और विकसित करना, बायोफ्यूल से जुड़े मानक और सर्टिफिकेशन तय करना इत्यादि भी इस अलायंस का काम है. ताकि दुनियाभर में बायोफ्यूल के उपयोग को लेकर एक नई जागरुकता लाई जा सके. ये अलायंस बायोफ्यूल को लेकर देशों के आपस में अपने अनुभव साझा करने का मंच भी बनेगा और इसे अपनाने के लिए वैश्विक सहयोग भी बढ़ाएगा.

पेट्रोल और डीजल का खर्च होगा कम?

भारत लगातार अपने पेट्रोल-डीजल के आयात बिल को कम करने की कोशिश कर रहा है. साथ ही वैकल्पिक ईंधन पर फोकस कर रहा है, ताकि तेजी से बढ़ रही देश की अर्थव्यवस्था को गति मिल सके. लोगों को तरक्की करने के लिए सस्ता ईंधन मिल सके. इसलिए भारत ने जहां पेट्रोल के साथ-साथ डीजल में भी इथेनॉल मिक्स करने के लक्ष्य तय किए हैं.

इसके अलावा देशभर में इथेनॉल के पंप, इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देना, फ्लेक्स फ्यूल वाले वाहनों को बढ़ावा देना, हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देना और नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत करने वाले कदम भी उठाए हैं.

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी खुद हाइड्रोजन कार से संसद जाकर कंपनियों से इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए कह चुके हैं. हाल में वो फ्लेक्स फ्यूल कार के साथ भी नजर आए हैं. वहीं इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों के लिए बैटरी से लेकर अन्य मानक तय हुए हैं. सरकारी वाहनों की खरीद में इलेक्ट्रिक व्हीकल को तरजीह दी जा रही है. व्हीकल स्क्रैपिंग से लेकर बैटरी स्वैपिंग तक की पॉलिसी भी बनी हैं. इन सभी का मकसद पेट्रोल और डीजल को सस्ता करना और देश की आयात पर निर्भरता खत्म करना है.

आगे बढ़ेगी इकोनॉमी और आएंगे रोजगार

इंटरनेशनल सोलर अलायंस बनने के बाद दुनियाभर में सोलर इक्विपमेंट की उपलब्धता तेजी से बढ़ी है. इससे लागत कम हुई और लोगों के बीच इनका इस्तेमाल बढ़ा है. इसी तरह ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस से आने वाले 3 साल में जी20 देशों के अंदर 500 अरब डॉलर के अवसर पैदा होने का अनुमान है.

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