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Toggleट्रस्ट क्या है? भारत में ट्रस्ट कैसे बनाएं? How To Make trust?
आपने ऐसे बहुत से चैरिटेबल ट्रस्ट का नाम सुना होगा, जो लोगों की भलाई के लिए कार्यरत हैं। बहुत से ऐसे अमीर हैं, जो अपनी संपत्ति का ट्रस्ट बना देते हैं, ताकि उनकी संपत्ति से धर्मार्थ कार्य किया जा सके। बहुधा लोग आयकर का लाभ लेने के लिए भी ट्रस्ट की स्थापना करते हैं।
ट्रस्ट पर आधारित इस पोस्ट में हम आपको ट्रस्ट के विषय में संपूर्ण जानकारी देने का प्रयास करेंगे। सबसे पहले हम यह जानेंगे कि ट्रस्ट का क्या अर्थ होता है। इसके पश्चात आपको विस्तार से इस संबंध में ब्योरा देंगे-
ट्रस्ट का क्या अर्थ होता है?
दोस्तों, ट्रस्ट को हिंदी में न्यास कहा जाता है। इसका एक शाब्दिक अर्थ भरोसा भी है। मूल रूप से यह संपत्ति के मालिकाना हक से जुड़ा एक दायित्व है। यह एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके माध्यम से कोई मालिक संपति एक अथवा अधिक लाभार्थियों के लिए रखता है।
इसमें ट्रस्टी को ट्रस्ट डीड में दिए गए तरीके से लाभार्थियों के लाभ के लिए संपत्ति का प्रशासन करने की आवश्यकता होती है। भारतीय ट्रस्ट अधिनियम-1882 की धारा 3 के अनुसार ट्रस्ट बनाने वाले व्यक्ति को डोनर अथवा आथर कहा जाता है।
जो व्यक्ति ट्रस्ट चलाने के लिए जिम्मेदार होता है, उसे ट्रस्टी कहा जाता है। जिन लोगों को ट्रस्ट का लाभ पहुंचता है, उन्हें बेनिफिशियरी कहा जाता है। एक सेटलर अपनी व्यक्तिगत संपत्ति के साथ एक ट्रस्ट बना सकता है।
ट्रस्ट कितने प्रकार के होते हैं? types of trusts –
ट्रस्ट दो प्रकार के होते हैं-एक होता है पब्लिक ट्रस्ट एवं एक निजी ट्रस्ट। पब्लिक ट्रस्ट में जहां लाभार्थियों की संख्या अनिश्चित होती है, वहीं निजी ट्रस्ट में लाभार्थियों की एक निश्चित संख्या होती है।
पब्लिक ट्रस्ट की स्थापना सार्वजनिक क्षेत्र की संस्था के रूप में की जाती है, वहीं निजी ट्रस्ट कोई भी व्यक्ति स्थापित कर सकता है। इसके लिए उसे एक निश्चित प्रक्रिया का पालन करना होता है, जिसकी जानकारी हम आपको आगे देंगे।
निजी ट्रस्ट किस प्रकार बनाया जा सकता है?
एक निजी ट्रस्ट इंडियन ट्रस्ट एक्ट (India trust act) यानी भारतीय ट्रस्ट अधिनियम-1882 के अंतर्गत बनाया जा सकता है। इसका उद्देश्य निजी एवं धार्मिक इस्तेमाल के लिए नियत ट्रस्ट प्रापर्टी को मैनेज करना होता है।
खास बात यह है कि एक निजी ट्रस्ट पब्लिक ट्रस्ट को दिए जाने वाले विशेषाधिकारों एवं टैक्स छूट का लाभ नहीं ले सकता।

ट्रस्ट डीड क्या होती है, इसे कैसे लिखा जाता है?
ट्रस्ट डीड (trust deed) नाॅन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर पर लिखी जाती है। इसकी कीमत ट्रस्ट प्रापर्टी के मूल्य पर आधारित होती है। इसमें ट्रस्टियों से जुड़े विषय, मसलन उनकी संख्या, उनके दायित्व, अधिकार, प्रबंधन का तरीका आदि के विषय में लिखा जाता है। किसी भी ट्रस्ट में न्यूनतम दो सदस्य होने आवश्यक हैं।
ट्रस्ट डीड में ट्रस्ट बनाने के उद्देश्य, इसका प्रबंधन किस प्रकार किया जाएगा, ट्रस्टियों की नियुक्ति कैसे होगी आदि लिखा जाता है। इसके पश्चात दो गवाहों की मौजूदगी में ट्रस्टियों एवं सेटलर्स दोनों पक्षों को साइन करने होते हैं। एक ट्रस्ट डीड में इन बातों का उल्लेख होता है-
- ट्रस्ट का नाम
- ट्रस्ट का रजिस्टर्ड आफिस
- ट्रस्ट के संचालन का क्षेत्र
- ट्रस्ट का मकसद
- ट्रस्ट के आथर यानी लेखक का ब्योरा
- ट्रस्ट के काॅर्पस, एसेट्स
- न्यासी मंडल का ब्योरा
- ट्रस्ट के सदस्यों की योग्यता, पद, कार्यकाल एवं बोर्ड का कोरम, जो 21 सदस्यों से अधिक नहीं हो सकता
- ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी एवं अन्य ट्रस्टियों के कार्य एवं शक्तियां
- ट्रस्ट विलेख का समापन एवं संशोधन के साथ ही एक्ट की प्रयोज्यता
ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया क्या है?
- ट्रस्ट के पास सुरक्षित प्रापर्टी अथवा धन ट्रस्ट की पूंजीगत राशि मानी जाती है। इसका ब्योरा इंस्ट्रूमेंट आफ ट्रस्ट (instrument of trust) में लिखा जाता है। ट्रस्ट को वैधानिक रूप देने के लिए ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन कराया जाना आवश्यक है।
- रजिस्ट्रेशन के लिए संबंधित क्षेत्र के अधिकारी के पास आवेदन दिया जाता है।
- चैरिटी कमिश्नर अथवा नोटरी के क्षेत्रीय कार्यालय के अधीक्षक के सामने इसे प्रस्तुत किया जाता है।
- वहां पर उपस्थित होकर इस पर साइन किए जाते हैं।
- इस फाॅर्म के साथ ट्रस्ट डीड की काॅपी जमा की जाती है।
- इन दस्तावेजों के साथ ही एक शपथ पत्र एवं कंसेंट लेटर भी देना होता है।
ट्रस्ट के गठन के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है?
ट्रस्ट के गठन के लिए भी कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। ये इस प्रकार हैं-
- ट्रस्ट डीड की आरिजिनल काॅपी। [Original copy of the trust deed.]
- सभी ट्रस्टियों का ब्योरा, उनके पते एवं पेन नंबर के साथ। [Details of all the trustees with their addresses and PAN numbers.]
- संस्थान के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की सर्टिफाइड काॅपी। [Certified copy of the Institute’s Registration Certificate.]
- इन्कम टैक्स रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की एक काॅपी। [A copy of the Income Tax Registration Certificate.]
- पिछले तीन साल की आडिट रिपोर्ट। [Audit report for the last three years.]
- आडिटेड बैलेंस शीट एवं आय-व्यय का ब्योरा। [Audited balance sheet and statement of income and expenditure.]
- रजिस्टर्ड आफिस प्रमाण, जैसे-रेंटल एग्रीमेंट अथवा मालिकाना हक के दस्तावेज [Registered office proof, such as rental agreement or ownership documents]
- ट्रस्ट के संस्थापक का आईडी प्रूफ [ID proof of the founder of the trust]
- दो गवाह [two witnesses]
ट्रस्ट को क्या औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं?
ट्रस्ट को उसके उद्देश्यों के आधार पर कुछ औपचारिकताएं भी पूरी करनी होती हैं, जो इस प्रकार हैं-
- पैन कार्ड प्राप्त करना [get pan card]
- बुक कीपिंग एंड एकाउंट्स [Book Keeping and Accounts]
- सालाना आईटी रिटर्न [Annual IT Return]
- दुकानें एवं लाइसेंस (रोजगार के मामले में) [Shops and Licenses (in case of employment)]
- कामर्शियल टैक्स रजिस्ट्रेशन (यदि लागू हो) [Commercial Tax Registration (if applicable)]
- जीएसटी रजिस्ट्रेशन (यदि लागू हो) [GST Registration (if applicable)]
ट्रस्ट के गठन के क्या-क्या उद्देश्य हैं?
इस संसार में बेमतलब कोई काम नहीं होता। यदि कोई व्यक्ति कुछ कार्य करता है तो उसका कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होता है। ट्रस्ट गठन के भी कुछ उद्देश्य होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्नवत हैं-
सामाजिक उद्देश्य –
सामाजिक उद्देश्य के लिए गठित किया गया ट्रस्ट सामाजिक उत्थान के लिए समयानुकूल कार्य करता है। मसलन ट्रस्ट समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिए प्रवचन, सेमिनार, वेबिनार आदि कार्यक्रमों को आयोजित कराता है।
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जैसे- कन्या भ्रूण हत्या, वृद्धजनों की देखभाल, विकलांगों की सहायता आदि पर सेमिनार अथवा सामाजिक जागरूकता संबंधी साहित्य का पुस्तकों, वीडियो, आडियो के माध्यम से वितरण आदि।
शैक्षिक उद्देश्य –
शैक्षिक उद्देश्य के लिए गठित किया गया ट्रस्ट शिक्षा के प्रचार-प्रसार, शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना एवं संचालन जैसे कार्य को अंजाम देता है। उनकी बेहतरी के लिए शिक्षा एवं उन्नयन से जुड़ी योजनाओं को बनाता एवं संचालित करता है।
विभिन्न प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षण संस्थाओं की स्थापना, संचालन एवं रखरखाव के कार्य को संपादित करता है।
चिकित्सा संबंधी उद्देश्य –
इस उद्देश्य से गठित किए गए ट्रस्ट का कार्य विभिन्न चिकित्सा शिविरों का आयोजन, संक्रामक रोगों के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न करना है। इसके अलावा जरूरतमंदों तक दवाओं आदि का वितरण भी इसी के अंतर्गत आता है।
ट्रस्ट के टैक्स भुगतान को लेकर लोगों में बड़ी भ्रांतियां
लोगों को यह बड़ी भ्रांति है कि ट्रस्ट को टैक्स पे करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि वे जन कल्याण के कार्य से जुड़े हैं। लेकिन यह सच नहीं है। एक ट्रस्ट अन्य किसी कानूनी यूनिट की तरह टैक्स पे करने के लिए उत्तरदायी है।
इससे मुक्त होने के लिए ट्रस्ट को धारा 12ए, 80 जी जैसी छूट हासिल करनी होगी, इसके लिए सर्टिफिकेट हासिल करना होगा।
ट्रस्ट का खाता खोलने के लिए आवश्यक परिपत्र
यदि ट्रस्ट को लेन देन के लिए किसी बैंक में खाता खुलवाने की आवश्यकता होती है तो उसे इसके लिए सामान्य ग्राहक की भांति कुछ दस्तावेज मुहैया कराने होते हैं, जो इस प्रकार हैं-
- ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट [Trust registration certificate]
- ट्रस्ट डीड [trust deed]
- पैन कार्ड की काॅपी [copy of pan card]
- आरबीआई की गाइड लाइन में उल्लिखित संस्थाओं के लिए इन्कम टैक्स रजिस्ट्रेशन यू एस/12ए [Income Tax Registration US/12A for Entities Mentioned in RBI Guidelines]
- ट्रस्ट के लेटर हेड पर वर्तमान ट्रस्टी एवं पदाधिकारियों की सर्टिफाइड लिस्ट [Certified list of current trustees and office bearers on the letter head of the trust]
- ट्रस्ट के पते का प्रूफ [Trust Address Proof]
- खाता खोलने एवं संचालन के लिए संकल्प की सर्टिफाइड काॅपी [Certified copy of resolution for account opening and operation] [Certified copy of resolution for account opening and operation]
ट्रस्ट से जुड़ीं विशेष बातें [Special things related to trust] –
- यह एक कानूनी प्रक्रिया है।
- ट्रस्टी अपने अधिकार को हस्तांतरित अथवा डेलीगेट नहीं कर सकता।
- एक से अधिक ट्रस्टी होने की स्थिति में एक के निधन के पश्चात उसके अधिकार दूसरे ट्रस्टी को चले जाते हैं। किंतु ट्रस्टी एक ही है तो नया ट्रस्टी नियुक्त करना पड़ता है।
- कोई भी ट्रस्टी खाते का सर्कुलेशन रोक सकता है।
- ट्रस्ट के पक्ष में लिखे चेक को ट्रस्टी के एकाउंट में जमा नहीं किया जा सकता।
- जब तक ट्रस्टी डीड में उल्लेख न हो, ट्रस्टी लोन लेने के हकदार नहीं होते।
- यदि कोई ट्रस्टी दिवालिया हो जाता है तो इससे ट्रस्ट के खाते पर असर नहीं होता। उसका संचालन नहीं रोका जा सकता।
- ट्रस्टी ने अपनी मृत्यु से पूर्व कोई चेक लिखा है तो बैंक उसका पेमेंट कर सकता है।
आयकर छूट के लिए 80जी सर्टिफिकेट को आवेदन करना होगा –
कोई ट्रस्ट आयकर छूट चाहता है तो उसे 80जी सर्टिफिकेट के लिए आवदेन करना आवश्यक है। उसे आवेदन के लिए निम्न कागजात की आवश्यकता होगी-
- ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
- ट्रस्ट डीड
- अच्छी तरह से भरे फाॅर्म 10जी
- ट्रस्ट के पैन कार्ड की काॅपी
- कार्यालय स्वामी की एनओसी
- पिछले तीन साल की आडिट रिपोर्ट
- ट्रस्ट की गतिविधियां, प्रोग्रेस रिपोर्ट एवं संबंधित सुबूत
ट्रस्ट का इतिहास क्या है?
ट्रस्ट के इतिहास पर प्रकाश डालना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि कई लोगों को ट्रस्ट का केवल नाम पता होता है, वे यह नहीं जानते कि ट्रस्ट की स्थापना कब से हुई? इनका जन्मदाता कौन है? आदि। ट्रस्ट की संकल्पना बहुत प्राचीन है। इतनी प्राचीन कि इनका संबंध 800 ईसवी के रोमन साम्राज्य से जुड़ता है।
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उस वक्त केवल रोम के ही नागरिक संपत्ति के स्वामी हुआ करते थे। जंग में जाते समय सैनिक संपत्ति का अधिकार अपने किसी विश्वसनीय मित्र को ट्रांसफर कर देते थे। ऐसा इसलिए ताकि उनके परिवार की देखरेख ठीक प्रकार से हो सके। जब ब्रिटेन का रोमन साम्राज्य पर कब्जा हुआ तो जमीन को बचाने के लिए ट्रस्ट ने एक टूल का काम किया।
बाद में इस टूल को अमेरिका तक के लोगों ने अपनी जमीनों को बचाने के लिए अपनाया। पूर्व में ट्रस्ट को केवल धनी लोगों को ही उपलब्ध कराया जाता था, किंतु कालांतर में ट्रस्ट को आर्थिक, सामाजिक प्रत्येक वर्ग के लिए उपयोगी पाया गया।
ट्रस्ट प्राॅपर्टी से लाभ कमाने का अधिकारी
भारतीय ट्रस्ट अधिनियम-1882 में ट्रस्ट से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं। इनमें यह भी बताया गया है कि ट्रस्ट के पास ट्रस्ट प्राॅपर्टी का कानूनी स्वामित्व होता है। यह स्वामित्व केवल लाभान्वित के लिए किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति अपने परिवार अर्थात अपनी पत्नी बच्चों अथवा स्वयं पर आश्रित अभिभावक की आर्थिक सुरक्षा के लिए निजी ट्रस्ट के जरिये इस अधिनियम के प्रावधानों से लाभ उठा सकता है।
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ट्रस्ट प्राॅपर्टी से लाभ कमाने का अधिकारी है। इसका उपयोग अन्य प्रकार के निवेश में किया जा सकता है। जैसे दूसरी प्राॅपर्टी खरीदने में इसका इस्तेमाल हो सकता है। इससे मिले रिटर्न से ट्रस्ट का खर्च निकाला जाता है। उसके पश्चात शेष लाभ ट्रस्टियों के मध्य वितरित कर दिया जाता है। इंस्ट्रूमेंट आफ ट्रस्ट में इस संबंध में उल्लेख होता है कि यह लाभ कितने समय बाद एवं किस हिसाब से वितरित किया जाएगा।
ट्रस्ट का कार्यकाल कितना होगा –
ट्रस्ट का कार्यकाल कितना होगा? यह कब एवं किस प्रकार से समाप्त होगा? इन सभी सवालों के जवाब इंस्टूमेंट आफ ट्रस्ट में लिखे जाते हैं। ट्रस्ट की समाप्ति पर कैपिटल अथवा काॅर्पस फंड को लाभान्वितों में पूर्व निर्धारित शेयरों के अनुसार वितरित कर दिया जाता है। कोई ट्रस्टी यदि अपनी कानूनी बाध्यताओं का उल्लंघन करता है तो उसे विश्वासघात माना जाता है। इसे इंडियन पीनल कोड अर्थात आईपीसी के तहत एक गंभीर अपराध माना गया है।